कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2: जॉर्ज पंचम की नाक प्रश्न उत्तर । Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 Question Answer Pdf Download

कक्षा 10 की हिंदी कृतिका के अध्याय 2 जॉर्ज पंचम की नाक में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2: जॉर्ज पंचम की नाक प्रश्न उत्तर (Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 Question Answer) दिए गए हैं जो कक्षा 10 के सभी छात्रों के एग्जाम के लिए काफी महत्वपूर्ण है। 

कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2: जॉर्ज पंचम की नाक प्रश्न उत्तर । Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 Question Answer Pdf Download

प्रश्न 1. सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है?

उत्तर- सरकारी तंत्र में जोर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता और बदहवासी दिखाई देती है, उससे उनकी गुलाम मानसिकता का बोध होता है। इससे पता चलता है कि वे आज़ाद होकर भी अंग्रेजों के गुलाम हैं। उन्हें अपने उस अतिथि की नाक बहुत मूल्यवान प्रतीत होती है जिसने भारत को गुलाम बनाया और अपमानित किया। वे नहीं चाहते कि वे जॉर्ज पंचम जैसे लोगों के कारनामों को उजागर करके अपनी नाराजगी प्रकट करें। वे उन्हें अब भी सम्मान देकर अपनी गुलामी पर मोहर लगाए रखना चाहते हैं। 

इस पाठ में ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा पर भी प्रश्नचिह्न लगाया गया है। लेखक कहना चाहता है कि अतिथि का सम्मान करना ठीक है, किन्तु वह अपने सम्मान की कीमत पर नहीं होना चाहिए।  

प्रश्न 2. रानी एलिजाबेथ के दरजी को परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?

उत्तर- दरबारी एलिज़ाबेथ की परेशानी का कारण रानी की पहनावे से जुड़ी समस्या थी। दरबारी यह सोचते थे कि भारत, पाकिस्तान और नेपाल की यात्रा के दौरान रानी किस अवसर पर क्या पहनेंगी।

दरबारी की चिंता समझने में सामर्थ्यशाली थी। इसलिए कि रानी इस यात्रा में अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रही थीं, इसका अर्थ था कि उनके पहनावे को उनकी गरिमा के अनुरूप होना आवश्यक था। रानी के पहनावे को तैयार करते समय यदि कोई गड़बड़ी हो जाती तो दरबारी को रानी के क्रोध का सामना करना पड़ता।

प्रश्न 3. ‘और देखते ही देखते नई दिल्ली का काया पलट होने लगा’- नई दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे? 

उत्तर- नई दिल्ली के कायापलट क्षेत्र में सबसे पहले हमने गंदगी को दूर करने का प्रयास किया होगा। हमने सड़कों, सरकारी इमारतों और पर्यटन स्थलों को सुंदरता से सजाया होगा और उन्हें रंगीन बनाया होगा। रात में हमने बिजलियों की चमक को बढ़ाने का प्रयास किया होगा। जो पहले सड़कों पर बंद पड़े थे, उन्हें चालू कर दिया होगा। भीड़ वाली जगहों पर हमने ट्रैफिक पुलिस के साथ खास व्यवस्था की होगी।

प्रश्न 4. आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है-

(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?

(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?

उत्तर-

(क) आज के पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों को व्यर्थ ही वर्णन करने का दौर चल रहा है, जिसके कारण जन-सामान्य की आदतों में भी परिवर्तन आ गया है। मुझे इस प्रकार की पत्रकारिता पर अपने विचार हैं कि –

इस तरह की बातों को इकट्ठा करना और बार-बार दोहराना महत्त्वपूर्ण नहीं है और इसे पत्रकारिता का प्रशंसनीय कार्य नहीं माना जाना चाहिए।

पत्रकारिता में ऐसे व्यक्तियों के चरित्र को भी महत्व दिया जाता है, जो खुद के चरित्र को कभी खराब नहीं करते हैं, लेकिन चर्चा में बने रहने के कारण उन्हें असामान्य कार्य करने पड़ते हैं, जो पत्रों में विशेष महत्वपूर्णता प्राप्त करते हैं।

(ख) जब हम चर्चित व्यक्तियों की व्यर्थ चर्चाओं के बारे में बात करते हैं, तो यह युवा पीढ़ी पर बुरा प्रभाव डालता है. जब वे इन चर्चित व्यक्तियों की नकल करने की कोशिश करते हैं, तो उन्हीं की संस्कृति को अपनाने की इच्छा युवा पीढ़ी के मन में बढ़ जाती है. इससे उन पर दुष्प्रभाव पड़ता है और उन्हें समाजिक व्यवहार और अपने लक्ष्य को भूलकर व्यर्थ की सजावटों में समय और पैसे खर्च करने की आदत हो जाती है.

प्रश्न 5. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?

उत्तर- जॉर्ज पंचम ने अपनी लाट की नाक लगाने के लिए कई प्रयास किए। सबसे पहले उसने उस पत्थर की खोज की जिससे वह मूर्ति बनी थी। उसने सरकारी फाइलों की जांच की और फिर भारत के सभी पहाड़ों और पत्थर की खानों का दौरा किया। उसके बाद उसने पूरे देश में महापुरुषों की मूर्तियों की जांच की। अंत में, वह एक जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर लगा दी।

प्रश्न 6. प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए ‘फाइलें सब कुछ हम कर चुकी हैं।’ ‘सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ ताका।’ पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए। 

उत्तर- इस पाठ में एक संगठन की व्यंग्यात्मक घटनाएँ वर्णित हुई हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर चोट करती हैं। यहाँ नीचे दिए गए कथनों में से वे कथन हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर चोट करते हैं:

1. सभापति ने मजाक में कहा, “हम ने विदेशों से सभी चीजें अपनी कर ली हैं- दिल, दिमाग, तरीके और रहन-सहन। जब हमारे देश में बाल डांस तक मिल जाता है, तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता?”

2. एक मूर्तिकार ने अपनी नई योजना की बात की, “क्योंकि नाक लगाना एकदम ज़रूरी होता है, इसलिए मेरी राय है कि चालीस करोड़ में से कोई एक ज़िदा नाक काटकर लगा दी जाए…”

3. किसी ने किसी से कुछ नहीं कहा, किसी ने किसी को नहीं देखा, लेकिन सड़कें अचानक जवान हो गईं और बुढ़ापे की धूल साफ़ हो गई।

प्रश्न 7. नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।

उत्तर- इस पाठ में नाक के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा के बारे में बताया गया है। जॉर्ज पंचम विदेशी शासन के प्रतीक माने जाते हैं जो भारत पर राज्य करते थे। उनकी कटी हुई नाक उनके अपमान का प्रतीक है। इसका मतलब है कि आज़ाद भारत में जॉर्ज पंचम की नीतियों को भारतविरोधी मानकर अस्वीकार कर दिया गया।

रानी एलिजाबेथ के आगमन के समय सभी सरकारी अधिकारी अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध अपनी नाराजगी व्यक्त करने की बजाय उनकी पूजा में जुट गए। जॉर्ज पंचम का भारत में कोई प्यार नहीं था। उनका आदर्श पूरी तरह विदेशी था। उनकी मूर्ति तक भी विदेशी थी। फिर उनके मान-सम्मान किसी भारतीय नेता या बलिदानी बच्चों से भी अधिक नहीं था। उनकी नाक भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की नाक से नीची थी। इसके बावजूद सरकारी अधिकारी उसकी नाक बचाने में लगे रहे। लाखों-करोड़ों रुपये बर्बाद कर दिए गए। यहाँ तक कि अंत में किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की नाक पर बिठा दी गई। यह भारतीय जनता के आत्मसम्मान को बहुत चोट पहुंचाता है।

प्रश्न 8. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।

उत्तर – यहां लेखक ने भारतीय समाज के महान नेताओं और साहसी बच्चों के प्रति अपना प्यार व्यक्त किया है। हमारे समाज में ये लोग विशेष मान्य हैं। उनका महत्व जॉर्ज पंचम से सहस्त्र गुणा अधिक है। जॉर्ज पंचम ने भारत को कुछ नहीं दिया, लेकिन उनके बलिदान और त्याग से भारत को एक मजबूत आधार दिया है जिससे हमारी आज़ादी हुई है। इसलिए उनकी महिमा जॉर्ज पंचम के महिमे से सहस्त्र गुणा बढ़कर है।

प्रश्न 9. अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?

उत्तर- अखबारों ने जोर से दावा किया है कि जॉर्ज पंचम की नाक की जगह प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा नई नाक लगाई गई है। लेकिन, उन्होंने इस खबर को बहुत सावधानीपूर्वक छिपाया है। उन्होंने यह संकेत दिया है कि इस बड़े समाचार को एक संक्षिप्त तरीके से प्रकाशित किया गया है। उन्होंने इसके बारे में यही कहा है – ‘नाक की समस्या का समाधान मिल गया है। जॉर्ज पंचम की नाक को बदलकर उन्हें अब एक नई नाक हासिल हो गई है। आप राजपथ पर इंडिया गेट के पास स्थित जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक को देख सकते हैं।’

प्रश्न 10. नई दिल्ली में सब था … सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

उत्तर- नई दिल्ली में सब था, सिर्फ नाक नहीं थी, इसका मतलब यह है कि भारत के स्वतंत्र होने के बाद वह पूरी तरह समृद्ध हो चुका था, कहीं भी गरीबी नहीं थी। उपेक्षा की बात नहीं है, लेकिन विशेषतः आत्मसम्मान और स्वाभिमान के मामले में देश अभी भी स्वतंत्रता के मानसिक बोझ से मुक्त नहीं हो सका है। जब भी हम अंग्रेज का नाम सुनते हैं, हमें गुलामी का भाव होता है कि वे हमारे शासक रहे हैं। हमारे पीछे गुलामी की कलंकित चिह्नित पहचान आज भी बरकरार है।

प्रश्न 11. जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

उत्तर- उस दिन सभी अखबारों की खबरों में आई चुप्पी का कारण यह था कि भारत में कोई भी अभिनंदन कार्यक्रम नहीं हुआ था, न किसी को सम्मान-पत्र दिया गया था। इसके अलावा कोई नेता नया कार्यक्रम उद्घाटित नहीं किया, कोई फीता नहीं काटा गया, और कोई सार्वजनिक सभा नहीं हुई। इसलिए अखबारों को चुप रहना पड़ा। हवाई अड्डों और स्टेशनों पर भी कोई स्वागत समारोह नहीं हुआ। इसलिए किसी नेता की ताजगी वाली तस्वीर नहीं छप सकी।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न 1. एलिजाबेथ के भारत आगमन पर इंग्लैंड और भारत दोनों स्थानों पर हलचल मच गई। उनके इस दौरे का असर किन-किन पर हुआ?

उत्तर- रानी एलिजाबेथ के आगमन से इंग्लैंड और भारत दोनों जगहों पर हलचल बढ़ गई। इस यात्रा के प्रभावित होने वालों में विभिन्न समाचारपत्र, पूरी दिल्ली, एलिजाबेथ के दरबार के लोग, विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी और मंत्रीगण थे। अखबारों में रानी एलिजाबेथ, प्रिंस फिलिप, उनके नौकरों, बावर्चियों, अंगरक्षकों और कुत्तों की जीवनी और फ़ोटो छपे, इसके कारण दिल्ली में बहुत संचालना थी। सरकारी तंत्र दिल्ली के सुंदर और स्वच्छ दृश्य को प्रदर्शित करना चाहता था। वे सड़कों की सफ़ाई करने, सरकारी इमारतों को साफ़ करने और उनका रंग-रोगन करके चमकाने, राजमार्ग को चमकाने के लिए परेशान थे। इसके अलावा, अन्य तैयारियों के लिए अफ़सरों और मंत्रियों की परेशानी भी थी, क्योंकि जॉर्ज पंचम के आगमन की योजना को संपन्न करना उनकी जिम्मेदारी थी।

प्रश्न 2. मूर्तिकार की उन परेशानियों का वर्णन कीजिए जिनके कारण उसे ऐसा हैरतअंगेज़ निर्णय लेना पड़ा। वह निर्णय के या था?

उत्तर- जॉर्ज पंचम को अपनी टूटी हुई नाक को ठीक करवाने के लिए, उन्होंने सबसे पहले मूर्तिकारों के पहाड़ी प्रदेशों और पत्थर की खानों में वही प्रकार के पत्थर ढूंढ़ने की कोशिश की। लेकिन इस प्रयास में उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद, वे देश के विभिन्न हिस्सों में जैसे कि मुंबई, गुजरात, बिहार, पंजाब, बंगाल, उड़ीसा आदि के शहीद नेताओं की नाकों को चुनने की कोशिश की, ताकि उनमें से कोई एक नाक काटकर उसे लगा सके। यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद, उन्होंने बिहार सचिवालय के सामने शहीद बच्चों की मूर्तियों की नाकों का आकार मापा, लेकिन इस भी प्रयास में उन्हें सफलता नहीं मिली। तब उन्होंने एक बहुत हैरतअंगेज़ फैसला लिया। उन्होंने निर्णय लिया कि वे चालीस करोड़ लोगों में से किसी एक व्यक्ति की जिंदा नाक काट लें और उसे जॉर्ज पंचम की टूटी हुई नाक पर लगा दें।

प्रश्न 3. रानी एलिजाबेथ के भारत दौरे के समय अखबारों में उनके सूट के संबंध में क्या-क्या खबरें छप रही थीं?

उत्तर- रानी एलिजाबेथ जब भारत आई थीं, तब भारतीय अखबारों में उसके बारे में कुछ ऐसी खबरें छप रही थीं जिन्हें लंदन के अखबारों ने पहले ही छाप दिया था। इन खबरों के बीच मुख्य रूप से रानी के सूट की चर्चा होती थी। अखबारों ने जानकारी दी कि रानी ने एक हलके नीले रंग के सूट की सिलाई कराई है, जिसका कपड़ा हिंदुस्तान से आया है। इस सूट की लागत लगभग चार सौ पौंड थी।

प्रश्न 4. जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक पाठ में भारतीय अधिकारियों, मंत्रियों और कार्यालयी कार्य प्रणाली पर कठोर व्यंग्य किया गया है। इसे स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक पाठ एक व्यंग्य प्रधान रचना है। इसमें जॉर्ज पंचम की टूटी हुई नाक को उदाहरण के रूप में लेकर मंत्रियों और सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर मजाक किया गया है। एलिजाबेथ के भारत आगमन पर राजधानी में हालाचाल मच गई, अफसरों और मंत्रियों को परेशानी हुई। इससे लगता है कि हम आज भी अंग्रेजों के गुलाम हैं। सरकारी कर्मचारियों को अपने देश के सम्मान के प्रति कुछ लेन-देन नहीं करना चाहिए। अगर उनकी स्वार्थपरता हो रही होती है, तो वे देश के सम्मान को ठेस पहुंचाने से संकोच नहीं करते हैं। इस प्रकार, उनका उद्देश्य सिर्फ स्वार्थपरता बनकर रह गया है।

प्रश्न 5. जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक लगाने के क्रम में पुरातत्व विभाग की फाइलों की छानबीन की ज़रूरत क्यों आ गई? इस छानबीन का क्या परिणाम रहा?

उत्तर- जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक लगाने के क्रम में पुरातत्व विभाग की फाइलों की छानबीन की ज़रूरत इसलिए आ गई है, क्योंकि इन फाइलों में प्राचीन वस्तुओं, इमारतों, लाटों और महत्वपूर्ण वस्तुओं से संबंधित विस्तृत जानकारी सजाकर रखी जाती है। ऐसे में, जब समय आए, इन फाइलों से देश के इतिहास संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। हम इन फाइलों की खोजबीन कर रहे हैं ताकि हम मूर्तिकार लाट के पत्थर का मूलस्थान, लाट की निर्माण तिथि, निर्माण स्थान, और निर्माणकर्ता से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें और इसके आधार पर उसकी टूटी नाक की मरम्मत कर सकें।

प्रश्न 6. इस छानबीन का कोई सकारात्मक परिणाम न निकला, क्योंकि फाइलों में ऐसा कुछ न मिला। भारतीय हुक्मरान अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते नज़र आते हैं। जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक के पाठ से स्पष्ट होता है कि सरकारी कार्यालय में विभिन्न अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोप दी जाती है। हर कोई इस जिम्मेदारी से बचना चाहता है। मूर्तिकार, जब यह कहता है कि उसे यह जानना चाहिए कि यह लाट कब और कहां बनी है और इसके लिए पत्थर कहां से लाया गया है, तो भारतीय हुक्मरान एक-दूसरे की ओर देखने लगते हैं और अंत में निर्णय करके यह काम एक क्लर्क को सौंप देते हैं।

प्रश्न 7. जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर बताइए पाठ से भारतीय अधिकारियों की किस मानसिकता की झलक मिलती है?

उत्तर- ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक कहानी में सरकारी अधिकारियों की मानसिकता का अभिप्रेत चित्रण किया गया है। इन अधिकारियों को अपने आपको बदहवास बनाए रखने के लिए एलिजाबेथ को खुश करने की चाहत होती है। वे मानसिक गुलामी में जीने का अनुभव करते हैं। इन्हें राष्ट्र के शहीद, देशभक्त नेता और बच्चों के सम्मान की परवाह नहीं होती, और वे बिना किसी आपत्ति के लाट पर जिंदा नाक लगाने में लगे रहते हैं। इस प्रभाव के कारण, वे देश की मर्यादा और भारतीयों के स्वाभिमान को उच्चतर स्थान पर रखने में विफल हो जाते हैं।

प्रश्न 8. इंग्लैंड के अखबारों में छपने वाली उन खबरों का उल्लेख कीजिए जिनके कारण हिंदुस्तान में सनसनी फैल रही थी?

उत्तर- महारानी एलिजाबेथ जब भारत आई थीं, उस समय इंग्लैंड के अखबारों में विभिन्न खबरें छापी जा रही थीं। वे खबरें इस प्रकार थीं कि रानी ने एक सुंदर हल्के नीले रंग के सूट की डिजाइन कराई थी, जिसमें रेशमी कपड़ा हिंदुस्तान से मंगवाया गया था और इसके लिए लगभग चार सौ पौंड खर्च हुआ था। इसके अलावा रानी एलिजाबेथ के जन्मपत्री, प्रिंस फिलिप के कारनामे, उनके स्टाफ और खाने-पीने कर्मचारियों, गार्ड्स और रॉयल डॉग्स के बारे में भी खबरें छापी जा रही थीं। ऐसी खबरों के कारण हिंदुस्तान में उत्साह और गौरव फैल रहा था।

प्रश्न 9. जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए क्या-क्या इंतजाम किए गए थे?

उत्तर – जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए लोगों ने हथियार बंद करके पहरेदार तैनात किए गए थे। किसी को भी हिम्मत नहीं थी कि वह उनकी नाक तक पहुँच सके। भारत में कई जगहों पर ऐसी नाकें खड़ी थीं, जहां लोगों के हाथ पहुँच गए नाकें विशेष सम्मान के साथ उतारकर अजायबघरों में रख दी जाती थीं। जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए गश्त भी की जाती थी, ताकि उसे कोई नुकसान न हो।

प्रश्न 10. रानी के भारत आगमन से पहले ही सरकारी तंत्र के हाथ- पैर क्यों फूले जा रहे थे?

उत्तर- रानी एलिजाबेथ भारत आने से पहले ही सुरक्षा के कई उपाय करने पर भी जॉर्ज पंचम की नाक गायब हो गई थी। रानी आ गई हैं, लेकिन जॉर्ज पंचम की नाक ठीक नहीं हो पाई है। यह सरकारी तंत्र के लिए एक चिंता का कारण बन गयी है। अब रानी के भारत आने तक जॉर्ज पंचम की नाक को कैसे ठीक किया जाए, ताकि रानी को जॉर्ज पंचम सही और सलामत हालत में मिल सके। सरकारी तंत्र में इसी चिंता के कारण सब उदास और परेशान हो रहे हैं।

प्रश्न 11. मूर्तिकार ने भारतीय हुक्मरानों को किस हालत में देखा ? उनकी परेशानी दूर करने के लिए उसने क्या कहा?

उत्तर- जॉर्ज पंचम नामक एक मूर्तिकार को अचानक दिल्ली बुलाया गया। जब वह मूर्तिकार पहुंचा, तो उसने हुक्मरानों के चेहरों पर अजीब से परेशानी देखी। वे उदास और कुछ बदहवास लग रहे थे। इसे देखकर मूर्तिकार को दुःख हुआ। वे चाहते थे कि उनकी परेशानी दूर हो जाए, इसलिए उन्होंने कहा, “नाक लगने के बाद मुझे यह जानना चाहिए कि यह लाट कब और कहाँ बनी थी? और इसके लिए पत्थर कहाँ से लाया गया था?”

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक लगाने के लिए मूर्तिकार ने अनेक प्रयास किए। उन प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताइए कि आप इनमें से किसे सही मानते हैं और किसे गलत। इससे उसमें किन मूल्यों का अभाव दिखता है?

उत्तर- जॉर्ज पंचम को जॉर्ज पंचम नाम से भी जाना जाता है। वह एक मूर्तिकार थे और उन्होंने एक अनोखी लाट बनाने का सोचा। इसके लिए उन्हें उसी प्रकार का पत्थर ढूंढ़ना पड़ा, जिसका उपयोग उन्हें इस लाट के निर्माण में करना था। वे भारत के पहाड़ी प्रदेशों और पत्थरों के खानों की यात्रा पर गए, लेकिन चाहे जितना भी खोजा, वे वही प्रकार का पत्थर नहीं मिला। मैं उनके प्रयास को सही मानता हूँ, क्योंकि वह यह ठोस कदम उठाने की कोशिश कर रहे थे।

फिर मूर्तिकार ने देश के नेताओं की मूर्तियों की नाप लेने का निर्णय लिया। उन्होंने मुंबई, गुजरात, पंजाब, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि के नेताओं की मूर्तियों के साथ ही, शहीद बच्चों की नाकों की नाप भी ली। लेकिन अंततः वे सफल नहीं हुए और एक जिंदा नाक को लगा दिया। इस कार्रवाई को मैं बहुत गलत मानता हूँ। यह बहुत विचित्र और लज्जाजनक था कि एक बुत के लिए जिंदा नाक का उपयो

प्रश्न 2. जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में देश के विभिन्न भागों के प्रसिद्ध नेताओं, देशभक्तों और स्वाधीनता सेनानियों को उल्लेख हुआ है। इनके जीवन-चरित्र से आप किन मूल्यों को अपनाना चाहेंगे?

उत्तर – जॉर्ज पंचम की नाक में हमने गांधी जी, रवींद्र नाथ टैगोर, लाला लाजपत राय से लेकर रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे देशभक्तों का उल्लेख किया है। इन शहीदों और देशभक्तों ने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना किया। इन नेताओं, देशभक्तों और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और चरित्र से मुझे देशप्रेम, देशभक्ति, देश के स्वाभिमान के बारे में सीख मिलती है। मैं उनकी तुलना में देशभक्ति की भावना, देशभक्तों का सम्मान करना चाहता हूँ और राष्ट्र को गर्व की भावना से भरना चाहता हूँ। मैं समय पर उचित निर्णय लेते हुए ऐसे कार्य करने की योजना बनाना चाहूँगा जो देश का गौरव बढ़ाए।

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